विवेकानन्द केन्द्र


स्वामी विवेकानंद मंदिर(कन्याकुमारी ,भारत)
स्वामी विवेकानन्द के सिद्धान्तों को प्रसारित करने के उद्देश्य से स्थापित एक हिन्दू आध्यात्मिक संस्था है। महान विचारक स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानकर उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेकर संगठन का स्थापना किया गया। सन १९७२ मे एकनाथ जी रानाडे ने स्थापना की। केन्द्र मानती है, ईश्वर प्रत्येक मनुष्य मे है। उसे जगाकर देश निर्माण मे उपयोग किया जा सकता है।

सेवा सम्बंधित कार्य
  • योग वर्ग के माध्यम से केन्द्र मे योग पर विशेष जोर दिया जाता है. स्वामी जी के विचार थे भारत को तभी नए सिरे से मजबूत किया जा सकता है जब व्यक्तित्व निर्माण मे योग को नियमित रूप से जोड़ा जाए. योग के माध्यम से एक व्यक्ति को समाज से जोडने की परिकल्पना है.
  • स्वाध्याय वर्ग - उपनिषद के बारे मे पढाया जाता है. केन्द्र का मानना है इसके माध्यम से आज की पीढी को अपने देश के गौरव से परिचय करवाया जाए.
  • संस्कार वर्ग - देश के लिए प्रेम भावना जगाना .प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण क्षमता से काम करने के लिए प्रेरित भी करती है.व्यक्तित्व विकास मे भी सहयोग करती है.
परिणाम
  • ७५ केन्द्रों के द्वारा ,९३५ ग्रामीण बच्चें विटामिन युक्त पौष्टिक भोजन प्राप्त करते हैं.
  • १५ ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से ,२२२ बच्चों को भारतीय संस्कार, विचार, संस्कृति के बारे मे रचनात्मक सुझाव दिया गया.
  • अरविन्द नेत्र अस्पताल, तिरुनवैली मे मुफ्त नेत्र जांच, पांच स्थानों पर लगाया गया. जिसमे ६१४ मरीजों का जांच हुआ.
  • १०, ८२५ महिलाओं ने २७३ मंदिरों मे दीप पूजा कर के ईश्वर से सभी प्राणियों पर दया बरसाने की प्रार्थना की.
  • ग्रामीण सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन तमिलनाडु के जिला के १० स्थानों पर किया गया, जिसमे १७१ स्कूल का ,१५१ छात्रों ने भाग लिया.
अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन
सन्१९६३-६४ का वर्ष सम्पूर्ण देश में स्वामी विवेकानन्द की जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया था। इस अवसर पर गठित "विवेकानन्द शिला स्मारक समिति' ने कन्याकुमारी स्थित उस ऐतिहासिक शिला पर, जहां स्वामी विवेकानन्द को तीन दिन तक ध्यान करने के बाद "मानव सेवा ही माधव सेवा' के महान सत्य का साक्षात्कार हुआ था, एक भव्य शिला स्मारक के निर्माण की योजना बनाई। स्मारक की स्थापना के बाद सेवा के संदेश को व्यावहारिक रूप देने के उद्देश्य विवेकानन्द केन्द्र की स्थापना हुई। आधुनिक परिप्रेक्ष्य में स्वामी जी के विचारों एवं उद्देश्यों को मूर्त्तरूप देने का सम्पूर्ण श्रेय केन्द्र के संस्थापक रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह रहे श्री एकनाथ रानाडे की दूरदर्शिता एवं गतिशील नेतृत्व को जाता है।
भारतीय समाज की अनेक समस्याआें का मूल कारण समाज को समुचित शिक्षा मिलने में है। इसलिए केन्द्र ने शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए देश के विभिन्न भागों में आवासीय सामान्य विद्यालय स्थापित किए हैं जिनमें से २१ अरुणाचल प्रदेश, १० असम, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, कर्नाटक और तमिलनाडु में हैं। साथ ही तिनसुकिया, डिब्रूगड़, गोलाघाट जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी अनेक प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में प्रगति लाने के उद्देश्य से कई जिलों में केन्द्र द्वारा ग्राम विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक नव-जागरण लाने हेतु विभिन्न क्रियाकलाप अपनाए गए हैं-जैसे पोषक बालवाड़ियां, युवा प्रेरणा शिविर, ग्रामीण पुस्तकालय, चिकित्सा सेवा, सांस्कृतिक वर्ग एवं प्रतियोगिताएं, बाल संस्कार वर्ग आदि।
अपना देश प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न होते हुए भी साधनों के अंधाधुंध उपयोग और अव्यवस्था के कारण ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रहा है। स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए केन्द्र भी ऊर्जा के वैकल्पिक अन्वेषण हेतु प्रस्तुत हुआ है। इसके लिए "प्राकृतिक संसाधन विकास प्रकल्प' का सूत्रपात किया गया जिसके माध्यम से कम लागत से बने मकान, सौर ऊर्जा, बायोगैस और अन्य नैसर्गिक साधन स्त्रोतों के उपयोग के प्रचार-प्रसार आदि को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही ग्रामीण युवक-युवतियों को स्वावलम्बी बनाने के लिए लघु उद्योग और हस्तशिल्प के काम का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
केन्द्र की वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित योग-चिकित्सा पद्धति ने सम्पूर्ण विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया है। केन्द्र द्वारा नियमित योग प्रशिक्षण शिविर और आध्यात्मिक साधना शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। वर्तमान में भारत में १७१ स्थानों पर केन्द्र द्वारा विभिन्न प्रकल्प चलाए जा रहे हैं जिनके माध्यम से मनुष्य निर्माण और राष्ट्र पुनरुत्थान का स्वामी विवेकानन्द का संदेश देश के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है।
प्रभाव क्षेत्र
य्ह् संस्था भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में बहुत सक्रिय है। भारत के १८ प्रदेशों में इसके लगभग २०५ शाखा-केन्द्र हैं जिनमें लगभग् २०० पूर्णकालिक कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं की विभिन्न श्रेणियाँ निम्नवत हैं -
  • जीवनव्रती - ये वे युवक-युवतियाँ हैं जो पूरे जीवन भर के लिये केन्द्र में सम्मिलित होते हैं
  • सेवाव्रती - जो किसी निश्चित अवधि के लिये केन्द्र में सम्मिलित होते हैं
  • वानप्रस्थी - जो सेवानिवृति के उपरान्त केन्द्र में सम्मिलित होते हैं
  • कार्यकर्ता - स्थानीय कार्यकर्ता जो देश का कार्य अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों के साथ करते रहते हैं।
समर्पित कार्यकर्तों को संस्कारित करने के लिये यह केन्द्र "योग वर्ग", "बाल-संस्कार वर्ग", "स्वाध्याय वर्ग", आदि नामों से प्रशिक्षण वर्ग चलाता है जो कि इसकी कार्यपद्धति के अनुरूप बनाये गये हैं। प्रशिक्षण केन्द्र का नाम "विवेकानन्द केन्द्र प्रशिक्षण एवं सेवा प्रकल्प" है जो महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है।
कार्यकलाप

विद्यालय एवं संस्थाएँ (Schools and foundations)

विद्यालय एवं संस्थाएँ (Schools and foundations)
   1 : अनौपचारिक शिक्षा मंच
   2 : स्वास्थ्य सेवा मंच
   3 : महिला मंच
   4 : युवा मंच
   5 : सांस्कृतिक मंच
  • Vivekananda Kendra Medical and Research Foundation in Arunachal Pradesh
  • Vivekananda Kendra Institute Of Culture, Guwahati VKIC
  • Vivekananda Kendra Vedic Vision Foundation, Kodungallur, Kerala
  • * Vivekananda Kendra International, Delhi,India VKI
  • Natural Resourse Development Project - Nardep VK NARDEP
  • Rural Development Programme
  • Vivekananda Kendra Prashikshan Va Sewa Prakalp
  • Vivekananda Kendra Prakashan Trust VKPT, Chennai, Tamil Nadu
  • Vivekananda Kendra Prashikshan va Seva Prakalpa, Nashik
  • Vivekananda Kendra Vidyalaya VKV, Laipuli, Tinsukia, Assam. Set up in 1976, the first batch (Class X) rolled out in 1990. In 1995 the first batch of class XII had passed out from here. At the beginning only the science stream was available to the students of class XIth and XIIth. But at present a commerce stream is also
available.

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