स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार


 उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
 स्वामी जी



उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व  नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.
 स्वामी जी


ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते  हैं कि कितना अन्धकार है!
 स्वामी जी


जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न  धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक  जाता है.
 स्वामी जी 

किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.
 स्वामी जी 

कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई  पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल  हो या अन्य निर्बल हैं.
 स्वामी जी 

गर धन दूसरों की भलाई  करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.
 स्वामी जी 

 एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
 स्वामी जी 

उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी  सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.
 स्वामी जी 

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
 स्वामी जी 

तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते.
 स्वामी जी 

सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.
 स्वामी जी 

विश्व एक व्यायामशाला है  जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
 स्वामी जी 

इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है.
 स्वामी जी 

हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा , और परमात्मा उसमे बसेंगे.
 स्वामी जी 

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